#सच्ची बातें,@सरसर सिटी सिवान


उम्र की डोर से फ़िर 

एक मोती झड़ रहा है

तारीख़ों के जीने से 

दिसम्बर फ़िर उतर रहा है..

कुछ चेहरे घटे, चन्द यादें

जुड़ गये वक़्त में

उम्र का पन्छी नित दूर और 

दूर निकल रहा है___

गुनगुनी धूप और ठिठुरी 

रातें जाड़ों की___

गुज़रे लम्हों पर झीना-झीना सा

इक़ पर्दा गिर रहा है___

ज़ायका लिया नहीं और

फ़िसल गयी ज़िन्दगी

वक़्त है कि सब कुछ समेटे

बादल बन उड़ रहा है


फ़िर एक दिसम्बर गुज़र रहा है

बूढ़ा दिसम्बर जवान जनवरी  क़दमों मे बिछ रहा है

लो इक्कीसवीं सदी को बाइसवाः साल लग रहा है ll❤️🌹


 

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