महाशिवरात्रि : अघोरी भक्तों की रहस्यमयी दुनिया,जाने श्मशान मे क्यों ज्यादा पंसद है।
जबकि भगवान के शिव कई भक्त होते ,
भोलेनाथ के भक्त अघोरी (Aghori) ही माना जाता है@Shaibaba95.blogs
अर्थात विश्व का तंत्र-मंत्र का ज्ञान इन्हीं से मिलता है,
महाशिवरात्रि के त्यौहारो पर हम अघोरीयो की रहस्यमयीऔर अनोखी बताने जा रहे है उनकी जीवन ,शैली विधान, और गतिविधियां सबसे बेहद निराली होती है।इनका जीवन का राज जानकर आप हैरत में पड़ जायेंगे।
@shaibaba95.blogspost.com
कौSa अघोरी होता है?अघोरी वहीं होता, जो घोर नहीं हो। यानिसरल और सहज हो। हर चीज को समान नजरों से देखें जिसके अंदर किसी का भेदभाव न हो। अघोरी सड़ते जीव का मांस बहुत चाव से खाते है जितना किसी स्वादिष्ट व्यंजन का सेवन करते है वे गाय का मांस छोडकर सभी चीजें खा लेते है इनमें इंसानों के मल से लेकर मुर्दों के मांस तक शामिल है।
इसलिए साधना श्मशान में करते है
अघोरी श्मशान में रहना अधिक पंसद एवं उनका मानना है कि श्मशान में की गई साधना जल्दी सिद्ध होती है वहीं श्मशान मे साधारण व्यक्ति कम ही आता है इसे उनकी साधना मे कोई हानि भी नहीं होता है।
ऐसा होता है.स्वभाव के अघोरी
बड़ा हठी स्वभाव के होते है वो जिस बात पर अड जाए तो उसे पूरा करके दम लेते है उनका गुस्सा भी बडा़ खतरनाक, वे गुस्से मे किसी भी हद तक चले जाते है। ज्यादा गुस्सा करने उनकी आंखें भी अक्सर लाल होती है। जबकि वो बेहद शांत भी होते है उनके मन मे कोई अच्छे बूरे का भाव नहीं होता है जब उनको प्यास लगती है तो वह खुद का मूत्र पी लेते है काले वस्त्र मे हरदम लिपटें रहना पंसद करते है गले मे नरमुंड का माला पहनते है अधिकतर मंत्र जपते है।
अघोरी दुनिया से कटकर अलग थलग रहना पंसद बेहद पंसद करते है वो अपने मे ही मस्त और दिन मे सोने और रात को श्मशान मे साधना करने मे बिताते वो समान्य लोगों से संपर्क न रहते है न ही अधिक बात करते है अधिक समय साधना में व्यतीत करना पंसद है। महाशिवरात्रि ः
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें